उत्तराखंड की धामी सरकार ने मंगलवार को अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश कर दिया।

61 हज़ार करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने का सरकार का रोडमैप क्या है?

उत्तराखंड की धामी सरकार ने मंगलवार को अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश कर दिया।

65 हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा के इस बजट में हर वर्ग पर फोकस करने की कोशिश की गई है। बीजेपी पर इस बार चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने का दबाव था, लिहाजा उसने बजट में जितने भी प्रावधान किए उनका ऐलान वो पहले ही कर चुकी थी। फिर चाहे अंत्योदय परिवारों को साल में तीन सिलेंडर मुफ्त देना हो, गौ सदनों की धनराशि बढ़ानी हो या समान नागरिक संहिता की कमेटी के लिए बजट की व्यवस्था करना हो।

सरकार ने पिछली बार के मुकाबले इस बार के बजट को 13 फीसदी तक बढ़ा दिया है ताकि हर वर्ग की जरूरतों को पूरा किया जा सके, लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्ज से निपटना है। क्योंकि GST की प्रतिपूर्ति के बंद होने से सरकार की आमदनी भी घटने वाली है। 15वें वित्त आयोग के तहत मिलने वाली धनराशि भी साल दर साल कम हो रही है। यानी आने वाले समय में चुनौती कड़ी होगी, जिसका मूल्य पूंजीगत खर्च चुकाएगा, जिसमें कमी आना तय माना जा रहा है।

बढ़ता कर्ज बन सिरदर्द

वित्त विभाग की रिपोर्ट के मुताबक, 31 मार्च 2022 तक सरकार पर 61 हजार करोड़ से अधिक कर्ज हो चुका था। अनुमान है कि अगले साल यानि 31 मार्च 2023 तक ये बढ़कर 67 हजार करोड़ के पास पहुंच जाएगा। आय के सीमित संसाधन होने की वजह से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार के पास कर्ज लेने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं है। लिहाजा कर्ज बेशक सिरदर्द है, लेकिन इसे सरकार लगातार लेती रहेगी।

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