सरकारी नौकरी में महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी दिलाने के लिए पुष्कर सिंह धामी सरकार अब बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रही है।
महिलाओं के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए प्रदेश सरकार अध्यादेश के कवच से लैस होकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रही है। सरकार अब डोमिसाइल को क्षैतिज आरक्षण का आधार बना सकती है। दरअसल मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। सबसे बड़ी अदालत में अपना पक्ष मज़बूती से रखने के लिए सरकार इसकी तैयारियों में भी जुटी है। सरकार सुप्रीम अदालत से अतीत में हुए उन बड़े फैसलों की नजीरें जुटा रही है, जिनमें डोमिसाइल के आधार पर राहत दी गई है। बेशक वे मामले नौकरियों से इतर दाखिलों से जुड़े थे।
सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर जाने से पहले सरकार इसको लेकर सरकार जल्द एक अध्यादेश भी लाने की तैयारी कर रही है। कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने अध्यादेश का ड्राफ्ट तैयार कर कानून विभाग को भेजा है। न्याय और विधायी विभाग अध्यादेश के पक्ष में विधिक तर्क तलाश रहा है। इस संबंध में काफी होमवर्क हो चुका है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के साथ ही आने वाले दिनों में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
अधिनियम का हथियार क्यों ज़रूरी?
प्रदेश की महिलाओं के लिए साल 2001 में और 2006 को तत्कालीन सरकारों ने अलग-अलग शासनादेशों से 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया था। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर क्षैतिज आरक्षण के जीओ पर रोक लगा दी। एक्सपर्ट का मानना है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिना तैयारी के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना बिल्कुल सही नहीं है और फैसला सरकार के खिलाफ आ सकता है, इसलिए बड़ी अदालती लड़ाई लड़ने के लिए अधिनियम का हथियार जरूरी है। यही वजह है कि सबसे पहले सरकार अध्यादेश ला रही है।
जानकारों का मानना है कि अध्यादेश 18 जुलाई 2001 से प्रभावी किया जा सकता है। ये कानून उन सभी महिलाओं को संरक्षण प्रदान करेगा, जो क्षैतिज आरक्षण के लाभ से सरकारी सेवा में हैं। इसके दायरे में ऐसी महिलाएं होंगी, जो भारत की नागरिक हैं और जिनका डोमिसाइल उत्तराखंड का है।
क्षैतिज आरक्षण क्या है?
क्षैतिज आरक्षण का तात्पर्य महिलाओं, सेवानिवृत्त सैनिकों, ट्रांसजेंडर समुदाय और विकलांग व्यक्तियों को सभी ऊर्ध्वाधर आरक्षण श्रेणियों में समान अवसर प्रदान करना। अनुच्छेद 15 (3) क्षैतिज आरक्षण की परिकल्पना करता है।
क्षैतिज आरक्षण पर सरकार का ज़ोर क्यों?
दअसल राज्य में 39.19 लाख से ज़्यादा महिला मतदाता हैं। इनमें करीब 16 लाख महिला आबादी 18 साल से 40 साल के बीच है, जिसे सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण की दरकार है। प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी पर महिलाओं की इतनी बड़ी आबादी के हित को सुरक्षित बनाने का जबर्दस्त दबाव है। सरकार को इसका फादा चुनाव में भी मिल सकता है।