उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्तियों की रिपोर्ट को तय समयसीमा से पहले सौंपने के लिए विशेषज्ञ समिति दिन-रात जांच में जुटी हुई है।
जांच समिति एक हफ्ते के भीतर जांच रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप सकती है। इसके साथ ही बैकडोर से नौकरी पाने वाले कर्मचारियों की धड़कने भी तेज होती जा रही हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने जल्द ही विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने के संकेत भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि समिति रिपोर्ट विधानसभा और उत्तराखंड के लिए निर्णायक होगी।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा कि, विशेषज्ञ समिति गंभीरता से अपना काम कर रही है। शनिवार और रविवार को अवकाश के दिन और रात 9 से 10 बजे तक समिति काम में जुटी है। समिति की ओर से भर्तियों से संबंधित जो भी फाइलें व पत्रावलियां मांगी जा रही हैं, विधानसभा सचिवालय के अधिकारी उपलब्ध करा रहे हैं, जल्द ही समिति की रिपोर्ट आ जाएगी। यह रिपोर्ट विधानसभा और उत्तराखंड के लिए निर्णायक होगी।
दरअसल, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक मामले की एसटीएफ जांच शुरू होने के बाद विधानसभा में बैकडोर भर्तियां विवादों में आई थीं। 2012 से 2022 तक कांग्रेस और भाजपा सरकार में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में की गई थी। नियुक्तियों की सूची भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा में भर्तियों में शिकायत मिलने के बाद स्पीकर से जांच कराने का अनुरोध किया था। और सरकार की तरफ से पूरा सहयोग देने की बात कही थी।
विधानसभा अध्यक्ष ने तीन सितंबर को विधानसभा में हुई भर्तियों के लिए पूर्व आईएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की। समिति को जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए एक माह का समय दिया गया था। समिति के चार सितंबर को विधानसभा पहुंच कर जांच शुरू की थी। समिति विधानसभा भवन में बैठक रात दिन भर्तियों से संबंधित फाइलें, पत्रावलियों की जांच कर रही है । भर्तियों को लेकर एक-एक फाइल की समिति के सदस्यों ने गहनता से जांच की। अब समिति रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है। सूत्रों के मुताबिक समिति आगामी एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट स्पीकर को सौंप सकती है।
विधानसभा में बैकडोर भर्तियों और नियम विरुद्ध पदोन्नतियों की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने राज्य गठन के बाद से 2022 तक हुई भर्तियों और पदोन्नतियों को जांच में शामिल किया है। समिति की घोषणा के समय विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि पहले चरण में 2012 से 2022 तक की भर्तियों की जांच की जाएगी। यदि आवश्यकता पड़ी तो 2000 से 2011 तक की भर्तियों को जांच के दायरे में लाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक समिति ने राज्य गठन से 2022 तक हुई सभी भर्तियों की जांच की है।